क्यों आजकल की बच्चियां उम्र से ज्यादा दिखने लगी हैं?
धन्यवाद, ये सवाल मेरे मन में भी उठता है जैसे कि 10–15 सालों के दौरान हुए इस परिवर्तन से में भी आश्चर्य में हूं।
10–15 साल पहले, 10 से 15 वर्ष की उम्र में बच्चियों का शरीर जिस प्रकार विकसित होता था वर्तमान में उससे दुगनी तेजी से हो रहा है। जिससे आपको लगता है कि आजकल की बच्चियां उम्र से ज्यादा दिखने लगी है।
मेरे ख्याल से यह उम्र से नहीं बल्कि सामाजिक व सांसारिक परिवर्तन के कारण शरीर का पहले की तरह इस्तेमाल न करके ऐशोआराम की तरफ भागना हो सकता है और अनियमित दिनचर्या से पैदा हुई विकृतियाँ भी हो सकती है।
इसके निम्नलिखित कारण हो सकते है-
- फास्टफुड -अत्यधिक मात्रा में बाहर का खाना जिसमें बार-बार इस्तेमाल किया हुआ तेल एक प्रकार का जहर हो सकता है। न्यूनतम क्वालिटि के मैटिरियल से तैयार किया हुआ। साफ-सफाई आदि। ऐसा भोजन कम मात्रा में या कभी कभार जरुरत पड़ने पर इस्तेमाल करें तो सेहत के लिए ठीक रहेगा। फास्टफुड पेट के रोगों का भी कारण बनता है। अतः इसके अंधाधुंध इस्तेमाल करने पर शारिरीक विकास में परिवर्तन हो सकता है।
- रासायनिक भोजन- आजकल हमारा खानपान लगभग रासायनिक हो गया है। हर प्रकार के अनाज को तैयार करने के लिए यूरिया, डीएपी, कीटनाशक व अन्य रसायनों का इस्तेमाल ज्यादा पैदावार लेने के लिए अनियमित रुप से हो रहा है। हम रासायनिक भोजन प्राप्त कर रहें हैं जो हमारे शारिरीक परिवर्तन के मुख्य कारणों में से एक है।
- शारीरिक श्रम- पहले की अपेक्षा शारीरिक श्रम बहुत कम रह गया है। देखा जाए तो कुछ समय पहले अगर योगा या व्यायाम नहीं भी किया तो भी घर के कामकाज में भी शारीरिक श्रम हो जाता था क्योंकि पहले कपड़े धोने व अन्य कार्य हाथों से करने पड़ते थे। लेकिन आजकल उतना शारीरिक श्रम नहीं हो पाता है। जिससे शारीरिक परिवर्तन होने लगा है।
- विकास- टेकनोलोजी का विकास भी इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जैसे इंटरनेट के आने पर समाज में जो परिवर्तन हो रहा है उसका भी प्रभाव हो सकता है।
- सुख-सुविधाएँ- आजकल की सुख सुविधाओं के कारण भी मनुष्य के शारीरिक श्रम में गिरावट आई है जिससे शारीरिक परिवर्तन हो रहा है।
- पर्यावरण- मनुष्य के शारीरिक विकास में पर्यावरण की अहम भूमिका रहती है। लोकिन आजकल की जहरीली प्रदूषित हवा मनुष्य शरीर को प्रभावित कर रही है। जैसे हमने लोकडाउन के दौरान साफ हवा को भी देखा है जिस समय कोई फेक्ट्री या साधन नहीं चल रहा था और न ही पर्यावरण का दोहन हो रहा था।
- पानी – वर्तमान में प्रदूषण से वातावरण, रसायनों व उर्वरकों से मृदा के प्रदूषित होने का कुप्रभाव पानी पर पड़ रहा है जिससे पानी जहरीला हो रहा है। फेक्ट्रियों से निकलने वाला वेस्ट भी पानी को प्रदूषित करने का मुख्य कारक है। जैसे- आजकल हम आरो या वाटर फिल्टर का इस्तेमाल न करें तो पानी प्रदूषित है और यदि आरो का इस्तेमाल कर भी लें तो पानी की पोषकता कम होने की संभावना रहती है।
देखा जाए तो ऐसे अनेकों कारण हो सकते हैं इसलिए समय के साथ-साथ मानव विकास के कारण हुए परिवर्तनों से शारीरिक परिवर्तन भी संभव है।
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